A Literary Reading of Parineeta -Sarat Chandra’s Book
इस literary blog में हम author शरत चंद्र चट्टोपाध्याय (Sarat Chandra Chattopadhyay) और उनके iconic novel परिणीता (Parineeta) पर बात करेंगे। एक ऐसा novel जिसे बहुत सराहा गया और आगे चलकर कई बार films के लिए भी adapt किया गया।
शरत चंद्र एक ऐसे author थे की जो अपनी कहानियों को लेकर self-doubt से भरे हुए थे। इसलिए अपने career की शुरुआत में उन्होंने ‘अनिला देवी’ और ‘अनुपमा’ नाम से लिखना शुरू किया, सिर्फ़ ये देखने के लिए कि दुनिया उनकी कहानियों को कैसे receive करती है।
एक ऐसे लेखक, जिनकी कहानियाँ वक़्त के साथ पुरानी नहीं हुईं, बल्कि हर दौर में मोहब्बत, मन की उलझनें और समाज की सच्चाई का चेहरा बनी रहीं। शायद इसी वजह से उनकी कई कहानियों ने Bollywood और Regional cinema को deeply inspire किया। परिणीता (Parineeta) भी उनकी famous novel में से एक है, जिसे आज भी बहुत पढ़ा जाता है, और सराहा भी।
परिणीता की कहानी के केंद्र में है ललिता, एक 13 साल की अनाथ लड़की जो अपने uncle के साथ रहती है, और शेखर, जो अमीर है और पड़ोस के आलीशान घर में रहता है। ललिता पढ़ने के लिए शेखर के घर आया करती है, उसके कमरे की सफ़ाई कर दिया करती है, और साथ ही साथ अपने खर्च के लिए पैसे भी लिया करती है।
यह एक ऐसी कहानी है जहाँ “ललिता और शेखर” का प्यार कोई Grand Gesture के साथ नहीं, बल्कि गहरी खामोशियों, और छोटे-छोटे लम्हों में जाहिर होता है, जो उस समय की Indian Society का का अटूट हिस्सा था।
परिणीता (Parineeta) में शरत चंद्र Idealistic Love और Harsh Reality के contrast को एक major plot device के रूप में use करते है, और साथ ही बताते है की किस तरह शादी जैसे personal decisions पर families का control रहता है, फिर यही family pressure प्रेमियों को ऐसे decisions लेने पर मजबूर करता है जो उनकी feelings और beliefs से match नहीं करते है।
Novel में जिस depth के साथ Dignity, Pride, Quiet-longing और Emotional restraints को दिखाया गया है, यही सब बातें हमें Amar Prem (1972), Sirf Tum (1999), Raincoat (2004) और यहाँ तक की Sholey (1975) जैसी films में भी नज़र आती है।
एक तरफ परिणीता में plot को आगे बढ़ाने के लिए class divide का effectively use किया गया है, तो वहीं दूसरी तरफ traditional values और modernity के बीच की tension को इस novel में central theme बनाया गया है.
“जहाँ शब्द थम जाते हैं, वहीं से ललिता और शेखर की कहानी शुरू होती है।”
— शरत चंद्र चट्टोपाध्याय
आख़िर वो क्या बातें हैं जो इस novel को एक undying literary phenomenon बनाती हैं?
- क्या public display of affection (PDA) के बिना प्यार हो सकता है?
- क्या कहानियाँ समाज का ही एक आइना है?
- क्या होता है जब idealism और reality का टकराव होता है?
- क्या stereotypes कहानी को relatable बनाते हैं या predictable?
- Uncovering Symbolism: Hidden Meaning in the Story.
इसे जानने और महसूस करने के लिए पढ़िए हमारा Premium Literary Blog जो एक evocative नज़र डालता है author की ज़िंदगी पर, novel की emotional soul पर, और कैसे यह timeless literary gem बन गयी Indian cinema की सबसे powerful फ़िल्मों में से एक।
Purchase the Book
- ‘परिणीता’ Parineeta – Bengali Edition
- ‘परिणीता’ Parineeta – Hindi Edition
- ‘परिणीता’ Parineeta – English Edition
- ‘परिणीता’ Parineeta– Audio Book
Read the Book. Watch the Movie. Because this is where it all began.
हमें उमीद है कि आपने यह किताब पढ़ी होगी, तो comment box में share करे वो क्या बातें है जो आपकी नज़र में इस novel को iconic बनाती है।

Very Nice
Intersting blog. A complete guide to writing comments on blog posts that do not suck, gets you noticed. and makes you appear an authority in your field.