A Literary Reading of Prithvi Vallabh – K.M. Munshi’s Book
इस literary blog में हम author कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी (Kanhaiyalal Maneklal Munshi) और उनके iconic novel ‘पृथ्वी वल्लभ’ (Prithvi Vallabh) पर बात करेंगे, जिसे आगे चलकर ‘पृथ्वी वल्लभ’ नाम से हिंदी, गुजराती और मराठी films के लिए भी adapt किया गया।
K. M. Munshi जिन्होंने ‘घनश्याम व्यास’ (Ghanshyam Vyas) के penname से लिखना शुरू किया, और Gujarati के अलावा Hindi और English में भी कई चर्चित books लिखीं।
K. M. Munshi एक visionary author और literary powerhouse थे, जो कि अपने historical fictional novels के लिए काफ़ी मशहूर है। कई historian strongly believe करते है कि ‘Pseudo-Secularism’ term भी सबसे पहले इसी author ने coin किया था. उनकी कहानियां Aryan settlements, महाभारत के समय के कृष्ण, और 10वीं सदी का गुजरात, मालवा और दक्षिण भारत को explore करती है।
1921 में उनके द्वारा लिखा novel ‘पृथ्वीवल्लभ’ एक ऐसा classic historical fictional novel है, जिसे गुजराती साहित्य में एक milestone माना जाता है।
पृथ्वीवल्लभ – एक charming warrior king का courage और एक कठोर निर्दयी celibate woman का उसपर दिल हार जाना।
पृथ्वीवल्लभ, मालवा region की history पर based है। कहानी में धारानगरी के परमार राजा मुंज (Munj) और तैलप (Tailap) की rivalry दिखाई गई है। मुंज ने कई बार तैलप को हराया, लेकिन आखिर में तैलप उसे हरा देता है और क़ैद कर लेता है। कैद में मुंज को तैलप की विधवा बहन मृणालदेवी (Mrinal devi) से प्यार हो जाता है। मृणालदेवी भी उसके प्यार में पड़ जाती है, लेकिन आख़िर में तैलप, मुंज को हाथी के पैरों तले मरवा देता है.
ये novel historical कम और fiction ज़्यादा है, जिसमें ब्रह्मचारी मृणालदेवी और romantic king मुंज के बीच का contrast बहुत शानदार लेकिन थोड़ा bold तरीके से दिखाया गया है। इसलिए इसकी boldness को लेकर काफी विवाद भी हुआ। यहाँ तक की महात्मा गांधी ने भी इस पर नाराज़गी जताई।
पृथ्वीवल्लभ में जिस depth के साथ Ego, Rivalry, Courage और Romantic Tragedy को दिखाया गया है, यही depth हमें मुग़ल-ए-आज़म (1960), लगान (2001), जोधा-अकबर (2008) और पद्मावत (2018) जैसी films में देखने को मिलती है।
K. M. Munshi ने जिस तरह से celibate royal woman और एक defeated enemy king के बीच attraction को subtly explore किया है, वो वाक़ई क़ाबिले तारीफ़ है। Novel में जिस तरह Rivalry और Courage की जंग एक इंसान के किरदार को define करती है, वो ‘पृथ्वी वल्लभ’ को बहुत ख़ास बनाती है।
“कभी-कभी हारने वाले की शान, जीतने वाले की ताक़त से कही ज़्यादा होती है।”
— के. एम. मुंशी
आख़िर वो क्या बातें हैं जो इस novel को एक undying literary phenomenon बनाती हैं?
- क्या मौत को courage और dignity के साथ गले लगाया जा सकता है?
- क्या होता है जब spirituality और sensuality का टकराव होता है ?
- क्या होता है जब दिल और कर्तव्य टकराते है ?
- क्या होता है जब Power, Politics और Revenge मिलते है?
इसे जानने और महसूस करने के लिए पढ़िए हमारा Premium Literary Blog जो एक evocative नज़र डालता है author की ज़िंदगी पर, novel की emotional soul पर, और कैसे यह timeless literary gem बन गयी Indian cinema की सबसे powerful फ़िल्मों में से एक।
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हमें उमीद है कि आपने यह किताब पढ़ी होगी, तो comment box में share करे वो क्या बातें है जो आपकी नज़र में इस novel को iconic बनाती है।

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