A Literary Reading of Taamsi – Charu Chandra Chakraborty’s Book
इस literary blog में हम author Charu Chandra Chakraborty, और उनके iconic novel Taamsi (तामसी) पर बात करेंगे, जिसे आगे चलकर Bandini (बंदिनी) नाम से हिंदी film के रूप में adapt किया गया।
Charu Chandra Chakraborty, जिनका pen name Jarasandha (जरासंध) था, एक ऐसे author थे जिन्होंने महात्मा बुद्ध के विचार, “अपराध से घृणा करो, अपराधी से नहीं” को अपनी कहानियों में इस तरह उतारा कि पढ़ने वालों की अपराधियों को लेकर सोच हमेशा के लिए बदल गई।
वे वह author थे जिन्होंने भारतीय साहित्य को Crime and Punishment से inspired fiction genre—Prison Literature दिया। जरासंध जी की originality का बड़ा कारण यह था कि वे असल ज़िंदगी में Jail Superintendent रहे। इसलिए उनके novels में prison life की एक गहरी authenticity और depth मिलती है।
यह पहली बार था जब किसी महिला क़ैदी पर आधारित एक Indian fiction novel publish हुआ, और readers ने इसे बेहद सराहा। इसकी popularity के चलते इसे Bangla और Hindi films में भी adapt किया गया।
तामसी—एक ऐसी Novel जिसमें संगीन जुर्म है, ग़लती है, अफ़सोस है, लेकिन साथ ही इंसानियत और दूसरों की सेवा में खुद को न्योछावर कर देने का जज़्बा है।
कहानी 1930s के बंगाल की है, British Raj के दौर की। हेना एक गांव के Postmaster की बेटी है, जो एक क्रांतिकारी “बिकास” से प्यार कर बैठती है। बिकास वादा करके जाता है कि वो लौटेगा… लेकिन वापस नहीं आता। एक impulsive moment हेना को हत्यारिन बना देता है, और वह जेल में सजा काटती है।
Novel में Crime, Guilt, Prison-life और Helplessness को जिस depth के साथ दिखाया गया है, वही human psychology की layers हमें Pink (2016), Badlapur (2015), और Paris, Texas (1984) जैसी फिल्मों में भी देखने को मिलती हैं।
तामसी एक ऐसी novel है जिसमें spiritual philosophies हैं, तो patriarchy की सच्चाई भी। इसमें gender equality की बात है, तो जेल के अंदर होने वाले gay और lesbian exploitation का भी वर्णन है। साथ ही कई कटाक्ष भी हैं—जैसे एक ख़ास religion में औरतों की तुलना ‘हांडियों’ से की गई है, कि जब पुरानी हो जाए तो मर्द नई ले आता है।
Jarasandha जी ने इन संवेदनशील मुद्दों को sensational बनाए बिना बेहद finesse और dark humour के साथ लिखा है।
“जिस आदमी ने कल किसी के सीने में चाकू मारा था, वही आज किसी को सीने से भी लगा सकता है। असल में वह दो मनुष्य है। कल का वीभत्स रूप यदि सच था तो आज का यह मोहन रूप भी मिथ्या नहीं हो सकता।”
— जरासंध
आख़िर वो क्या बातें हैं जो इस novel को एक undying literary phenomenon बनाती हैं?
- क्या कोई इंसान जिसने हत्या जैसा अपराध किया हो, दया का पात्र हो सकता है?
- क्या सिर्फ़ अदालत का फ़ैसला ही इंसाफ़ है?
- Silent Guilt (अपराधबोध) — क्या इससे बड़ी भी कोई सज़ा हो सकती है?
- क्या ‘Possibility’ . . . ’Past’ से जीत सकती है?
इसे जानने और महसूस करने के लिए पढ़िए हमारा Premium Literary Blog जो एक evocative नज़र डालता है author की ज़िंदगी पर, novel की emotional soul पर, और कैसे यह timeless literary gem बन गयी Indian cinema की सबसे powerful फ़िल्मों में से एक।
Read the Book. Watch the Movie. Because this is where it all began.
हमें उमीद है कि आपने यह किताब पढ़ी होगी, तो comment box में share करे वो क्या बातें है जो आपकी नज़र में इस novel को iconic बनाती है।

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